भगत सिंह जी ने पिस्तौल की गोलियाँ निकाल कर
टेबल पर रख दी
जोर जोर से हसने लगे ,
बोले देखों सुखदेव राजगुरु
हमारे वतन के हालत तो देखो जरा
क्या तुम दोनों भी वही सोच रहे हो
जो मैं सोच रहा हूँ
हमारे सपनों के आजाद भारत का चित्र
तो जल कर खाक सा हो पड़ा है
हर रोज कोई ना कोई उसको रोंदते जाता है
हम जिस एकता के लिए लड़े मिटे कुर्बान हो गए
वह तो आज खंडित नजर आ रही है
वही जात पात भेदभाव अपनी चरम सीमा पर है
हमारा लाहौर जहाँ हम पढ़े लिखे
लालाजी जहाँ शहादत हुई
वह अब दूसरा मुल्क हो गया
कितनी शर्म की बात है
कुर्सी पाने की चाह ने
हमारे वतन इ हिन्द
को दो भागों मे विभाजित कर दिया। ...
तभी सुखदेव बोले
भगत यह तो कुछ नहीं है
कही भाषा की आग है
कही क्षेत्रवाद की
बहुत कुछ जल के राख हो चुका है
नेता बढ़ते जा रहे है
समसयाओ का समाधान नहीं हो रहा है
तभी भगत सिंह पुनः
पिस्तौल मे गोलियां
भरना शुरू करते है
राजगुरु उनको
रुकने को कहते है
और बोलते है
कुछ लोगो ने राष्ट्र को खोखला कर दिया है भगत
हमारे नामों का भी भरपूर उपयोग किया है
सभी अपनी राजनितिक रोटियां सेक रहे है
कुछ तो पहले से ही हमको सिरफिरे
पागल बहके युवक बोलते थे
उन्होने तो बहुत साल यहाँ राज किया
अब तुम समझ लो
दुर्दशा किस स्तर पर है
क्या कहु रक्त मे पुनः उबाल आया है
इन सो रहे अपने भारतीयों को जगाना तो जरुरी है
इतने मे आजाद जी आगमन होता है
सभी खड़े हो जाते है ....
अभी कलम को विश्राम
देता हूँ आगे की वार्तालाप जल्द
ही लिखूंगा
धन्यवाद
इंक़लाब जिंदाबाद
जय हिन्द जय भारत
वन्देमातरम
टेबल पर रख दी
जोर जोर से हसने लगे ,
बोले देखों सुखदेव राजगुरु
हमारे वतन के हालत तो देखो जरा
क्या तुम दोनों भी वही सोच रहे हो
जो मैं सोच रहा हूँ
हमारे सपनों के आजाद भारत का चित्र
तो जल कर खाक सा हो पड़ा है
हर रोज कोई ना कोई उसको रोंदते जाता है
हम जिस एकता के लिए लड़े मिटे कुर्बान हो गए
वह तो आज खंडित नजर आ रही है
वही जात पात भेदभाव अपनी चरम सीमा पर है
हमारा लाहौर जहाँ हम पढ़े लिखे
लालाजी जहाँ शहादत हुई
वह अब दूसरा मुल्क हो गया
कितनी शर्म की बात है
कुर्सी पाने की चाह ने
हमारे वतन इ हिन्द
को दो भागों मे विभाजित कर दिया। ...
तभी सुखदेव बोले
भगत यह तो कुछ नहीं है
कही भाषा की आग है
कही क्षेत्रवाद की
बहुत कुछ जल के राख हो चुका है
नेता बढ़ते जा रहे है
समसयाओ का समाधान नहीं हो रहा है
तभी भगत सिंह पुनः
पिस्तौल मे गोलियां
भरना शुरू करते है
राजगुरु उनको
रुकने को कहते है
और बोलते है
कुछ लोगो ने राष्ट्र को खोखला कर दिया है भगत
हमारे नामों का भी भरपूर उपयोग किया है
सभी अपनी राजनितिक रोटियां सेक रहे है
कुछ तो पहले से ही हमको सिरफिरे
पागल बहके युवक बोलते थे
उन्होने तो बहुत साल यहाँ राज किया
अब तुम समझ लो
दुर्दशा किस स्तर पर है
क्या कहु रक्त मे पुनः उबाल आया है
इन सो रहे अपने भारतीयों को जगाना तो जरुरी है
इतने मे आजाद जी आगमन होता है
सभी खड़े हो जाते है ....
अभी कलम को विश्राम
देता हूँ आगे की वार्तालाप जल्द
ही लिखूंगा
धन्यवाद
इंक़लाब जिंदाबाद
जय हिन्द जय भारत
वन्देमातरम
इंक़लाब जिंदाबाद
ReplyDeleteजय हिंद
सच
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