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Showing posts from March, 2019

स्वर्ग मे क्रांतिकारियों का मिलन

भगत  सिंह  जी ने  पिस्तौल की गोलियाँ निकाल कर   टेबल  पर रख  दी जोर जोर  से हसने लगे , बोले  देखों  सुखदेव राजगुरु हमारे वतन के हालत  तो  देखो  जरा  क्या  तुम दोनों  भी  वही  सोच  रहे  हो जो  मैं  सोच  रहा  हूँ हमारे सपनों के आजाद  भारत का चित्र तो जल कर खाक सा हो पड़ा है हर रोज कोई ना कोई उसको रोंदते जाता है हम जिस एकता के लिए लड़े मिटे कुर्बान हो गए वह तो आज खंडित नजर आ  रही है वही जात पात भेदभाव अपनी चरम सीमा पर है हमारा लाहौर जहाँ हम पढ़े लिखे लालाजी जहाँ शहादत हुई वह अब दूसरा मुल्क हो गया कितनी शर्म की बात है कुर्सी पाने की चाह  ने हमारे वतन इ हिन्द को दो भागों मे विभाजित कर दिया। ... तभी सुखदेव  बोले भगत यह तो कुछ  नहीं है कही भाषा की आग है कही क्षेत्रवाद की बहुत कुछ जल के राख हो चुका है नेता बढ़ते जा रहे है समसयाओ का समाधान नहीं हो रहा है तभी भगत सिंह पुनः पिस्तौल मे गोलियां भरना शुरू करते है राजगुरु उनको रुकने को कहते है और बोलते है कुछ लोगो ने राष्ट्र को खोखला कर  दिया है भगत हमारे नामों का भी भरपूर उपयोग किया है सभी अपनी राजनितिक रोटियां सेक

सवाल जवाब का दौर

कल तक जो  मैं   लिखता था आजकल बिल्कुल नही लिखता कुछ तो है ऐसा की खों सा गया जैसे धतूरा पी के सो सा गया हूँ नींद खुलने का नाम नही ले रही है सपनों की नगरी में खों सा गया हूँ कलम की सयाही मेरे खून मे लिप्त जैसे इस कांच के गिलास मे पढ़ी शराब मेरा दिमाग पूरा खराब , सवाल जवाब का दौर ऐसा जैसे मेरे ऊपर लटकी ज़हरीली तलवार हाल बेहाल इस रूह को ना जाने किस की आस यही बात मेरे मालिक मुझे आए ना रास दिखा दे रब्बा अब वो रास्ता कब तक लिखूगा मै गुनाहों की दस्ता  अघोरी अमली  सिंह