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Showing posts from May, 2018

शीर्षक - पानी है तो जहान है

picture source- aajtak media शीर्षक - पानी है  तो जहान है   देखों भैया सुनो हमाई कब तक देबी मौसम की दुहाई जो काल बोहताई भारी पड़ रहो जीगर कलेजा अपनों बर रहो सूखो पड़ो जो अपनों जग मानस कहूँ और जावे को मन नाहि बड़े बड़े बोल बोल गए नेता सबरे पापड़ तोल गए जेता कछु समझ अब और ना आ रहो कोनू राह नजर ना आ रई आत्मा सूखत ही जा रई दूर दूर   तक  ना बदली छाई कैसे हो है ई बार बिवाई जो बात बी दिमाग खा रई पानी के लाने भी हो रही लड़ाई कौनू धरे है कट्टा बैठो कौनू लए तलवार जो नीर के चक्कर में अब होने का आर पार, रूको भैया सुनो हमाई बिन पानी है सब बेकार समय रहे समझलो जल्दी नहीं अपने चल पड़े बा पार सब कछु हो जाने बेकार सूखो पड़ो जो पीपल अपनों झड पड़ो है जंगल सारो तानिक तो करो विचार अघोरी अमली करे जन जन से यही पुकार तानिक करो विचार -अघोरी अमली सिंह #amliphilosophy #bundeli

आत्मसंवाद

प्र कृति से प्रेम करो  दुर्व्यवहार नहीं,            यह  ठंडी हवायें , न जाने कितने प्रश्नों  को  हल कर रही  है   ,          बिजली का प्रकाश   नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर   रही  है  यह प्रकृतिक भांग साँसों को थामा रही है   मन की गंदगी साफ कर रही है  माफ कर रही गलतियों को,  सावधान कर समाधान कर रही है  , दिमाग की अंतिम नस नस में जो रक्त संचार हो रहा है  यह हरियाली उसको ताजा कर रही है  भविष्य की उलझी राहों को साफ कर रही है   वर्तमान में ध्यान केंद्रित करने का मन कार्य कर रहा है , बिना रुके यह स्याही निरन्तर लक्ष्य की ओर बढ़ती जा रही है , पुरानी यादों के झरोखे से कुछ शब्द पलों की आकाश गंगा का निर्माण कार्य में लगे हुए हैं  परन्तु  वक्त के साथ चलने में ही भलाई है , क्योंकि हर बार रुकने पर  कारवाह   आगे निकल जाता है   जो मन को रास नहीं आता है।    चलो  हो गया समाधान  , निरंतर  चल रही मेरी कलम  कर रही , सारे चूतियापो का कत्लेआम है,  समझों   तो  है  ज्ञान  नहीं  तो  लगा  दो  पूर्णविराम  अब यही  देता  हूँ , आत्मसवांद को थोड़ा  विश्राम        ॐ शान्ति शान्ति शान्ति   -