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Showing posts from January, 2018

एक खत भाई को

शीर्षक - एक खत भाई को  तुमको पता है भाई एक साल बीतने को है जख्म अभी भी भरा नहीं कभी भरेंगा भी नहीं दिमाग सब समझता है बीता वक्त वापिस नहीं आयेगा परंतु  इस पापी दिल को कुछ समझ में नहीं आता है  वो हर खुशी और गम में तुमको याद करता है  क्योंकि तुम दिल में हो और दिल जब तलक धड़कता रहेगा तुम याद आते रहोगे कभी कभी बहुत ज्यादा नाराजगी खुद से भी होती है  ऐसा समय आ कैसे गया हो कैसे गया एक बार कुछ कहा तो  होता पर फिर हो सकता है  कुछ कहना चाहते हो पर कह ना सके या कहा तो हम समझ ना सके यह प्रश्नोत्तर दिमाग को झकड लेते हैं अक्सर जब भी घर जाना होता है तब तक तो सब ठीक रहता है जैसे ही तुम्हारे घर तरफ नजर जाती है यहीं सब बातें यादें दिमाग को जकड़ लेतीं हैं फिर ना जाने क्यों लगता है तुम्हारा तुरंत काॅल आयेगा,  आओ भाई कही चलते हैं घूमते हैं चर्चा करते हैं तुम ही तो कहते हो ना कि भाई तुम कुछ करते क्यों नहीं हो तुम आगे बढ़ो अच्छा लगता है, भाई कसम से जिस दिन रफ्तार भाई जी के साथ शो किया था उस समय यही दिल बोल रहा था भाई यह शो तेरे लिए है आने वाले हर सुनहरे पल तुम्हारे लिए पर तुम स