मैने अपने सपनों की गला घोट कर हत्या की है हां अपनी रूह की आत्महत्या की है अब तुम इसका पोस्टमार्टम नहीं करोगे जिसमें ना जाने कितनी कविता कहानी निकलेंगी सीना चीर चीर निकलती ध्वनियाँ तुम्हारे मस्तिष्क का इलाज करेगी मेरे शरीर के अंतिम नस के अंतिम रक्त में भी कलाकारी ही निकलेंगी पर उसको कला के सौदागरों से बचा के रखना नहीं तो स्वाभिमानी लहू क्रांति करेगा किसी पब्लिशर के हाथ लगा तो वह अमर हो जाएगा मुझे मोक्ष की प्राप्ति होगी जुस्तजू है इस रूह को आजादी मिलेगी अघोरी अमली सिंह ©amlisingh
मै अघोर हूँ किस्से कहानिया सुनता हूँ मन हो तो कुछ लिख देता हूँ