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Showing posts from August, 2018

प्यार का मानसून सत्र भाग -१

आज की शाम  ठंडी ठंडी हवा चल रही थी  मैंने अपनी कुछ  किताबों  को टेबल पर रख  किताब के पनो को पलटना शुरू कर दिया  दिमाग का जंग धीरे धीरे साफ़ हो  रहा  था  की  अचानक तेज़ हवा के झोंके के  साथ  बारिश की बूंदो ने कमरे मे दस्तक दी  खिड़की की और बढ़ा  तो  लगा यह मानसून  धरती की  तपिस  मिटा  रहा है  पहाड़ों पर बिजली का चमकना सोने पे सुहागा सा प्रतीत हो रहा है  जैसे ही  तुम अपनी छत पर आ कर  बरसात का लुफ्त उठा रही  हो  ऐसा लग रहा जैसे किसी ने खाली पड़े गिलास को  शराब से भर दिया हो  नशा तुम्हारा इन  घने बादलों को दिल  खोल  के बरसने को मजबूर कर रहा हो  मानों देवलोक से कोई  उपहार तुम्हरे लिए आ रहा  हो       तुम्हरे कदम मेरी छत की ओर बढ़ना  कुछ अनसुलझे प्रश्नों के जवाव से महसूस हो रहे है  यह भीगा हुआ जिस्म भीषण बाणो सा  दिल पे प्रहार कर रहा है  तुम जो स्पर्श दर स्पर्श  कर  रही  हो ,कल्पनाओं  की उड़ान को गति मिल रही है  मस्तिष्क का रुका हुआ जनसंचार पुना सही रूप से कार्य कर रहा है  उलटते पलटते हुए किताब के पने पेज नंबर ५३ पर आ कर रुक गए है  तुमने जो ही मेरे बालों  को  खींचते हुए मेरी ग