मैंने अपनी कुछ किताबों को टेबल पर रख
किताब के पनो को पलटना शुरू कर दिया
दिमाग का जंग धीरे धीरे साफ़ हो रहा था
की अचानक तेज़ हवा के झोंके के साथ
बारिश की बूंदो ने कमरे मे दस्तक दी
खिड़की की और बढ़ा
तो लगा यह मानसून धरती की तपिस मिटा रहा है
पहाड़ों पर बिजली का चमकना सोने पे सुहागा सा प्रतीत हो रहा है
जैसे ही तुम अपनी छत पर आ कर बरसात का लुफ्त उठा रही हो
ऐसा लग रहा जैसे किसी ने खाली पड़े गिलास को शराब से भर दिया हो
नशा तुम्हारा इन घने बादलों को दिल खोल के बरसने को मजबूर कर रहा हो
मानों देवलोक से कोई उपहार तुम्हरे लिए आ रहा हो
तुम्हरे कदम मेरी छत की ओर बढ़ना
कुछ अनसुलझे प्रश्नों के जवाव से महसूस हो रहे है
यह भीगा हुआ जिस्म भीषण बाणो सा दिल पे प्रहार कर रहा है
तुम जो स्पर्श दर स्पर्श कर रही हो ,कल्पनाओं की उड़ान को गति मिल रही है
मस्तिष्क का रुका हुआ जनसंचार पुना सही रूप से कार्य कर रहा है
उलटते पलटते हुए किताब के पने पेज नंबर ५३ पर आ कर रुक गए है
तुमने जो ही मेरे बालों को खींचते हुए मेरी गर्दन पर अपने नुकीले दांतो से प्रहार किया
ना जाने कितने समय की थकान और उलझनों को जिस्म रुपी कैद से आज़ाद कर दिया
ये भीगे भीगे ओठों का ओठों का मिलन प्यार रुपी सैलाब ला रहा है
अब इसको रोकने वाली बाधाओं का विनाश हो चूका है
मन मस्तिष्क प्यार के इस समुंद्र डूब चूका है
इस भटकी हुई नाव को तुम ही पार करवा रही हो
माया रुपी बंधन का खात्मा हो चूका है
आत्मा अपने आत्म राह के निर्माण मे लगी हुई है
कलम कागज़ पर आखर को दिशा प्रदान कर रही है
मानों वो भरा हुआ नीट शराब का गिलास धीरे धीरे अपने जिस्म मे उतार लिया हो
सांसो के तापमान ने करवट ले ली हो
सपनों के यान ने एक नए बरम्हांड मे प्रवेश कर लिया हो
हर तरफ यह हरियाली हमारे प्यार का यशगान कर रही है
यह हवा निरन्तर चलते हुए मुश्किलों से लड़ने का समाधान
प्यार के इस मानसून सत्र भाग -१ को यही देता हूँ विराम
सभी को प्रणाम करता हूँ
अघोरी अमली सिंह
#amliphilosphy
Sandar.....
ReplyDeleteBahut achha
ReplyDeleteKamal kar diya Amli 🤗 Seriously Amazing efforts !!!
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