राजनीती के चश्मे को उतार कर तो देखो बाबू सरयू सुनाती अवध की स्वभिमानी कहानी जहाँ दिल दिल में बस्ते श्री राम है , घर घर श्री राम के धुनि रमाये दीवाने जिनकी मेहनत को करे दुनिया प्रणाम अंधियारे को गुम करती श्री राम जय राम जय जय राम की धुन अरे कहा पड़े हो मीडिया और राजनीति के चक्कर में। कोई नहीं है श्री राम भक्तों के टक्कर में जहाँ प्रेम है मर्यादा है तप है आदर्श हैं सरयू जिसका रोज सुबह सुबह चरण स्पर्श कर स्वाभिमान उदघोष करती हो, संतो की वाणी से वातावरण पवित्र हो जाता हो, वह नगरी कोई विवादस्पद नहीं, हमारे स्वाभिमानी शौर्य गौरव का प्रतीक है
मै अघोर हूँ किस्से कहानिया सुनता हूँ मन हो तो कुछ लिख देता हूँ