Skip to main content

सवाल जवाब का दौर

कल तक जो मैं  लिखता था
आजकल बिल्कुल नही लिखता
कुछ तो है ऐसा की खों सा गया
जैसे धतूरा पी के सो सा गया हूँ
नींद खुलने का नाम नही ले रही है
सपनों की नगरी में खों सा गया हूँ
कलम की सयाही मेरे खून मे लिप्त
जैसे इस कांच के गिलास मे पढ़ी शराब
मेरा दिमाग पूरा खराब ,
सवाल जवाब का दौर ऐसा
जैसे मेरे ऊपर लटकी ज़हरीली तलवार
हाल बेहाल इस रूह को ना जाने
किस की आस यही बात मेरे मालिक
मुझे आए ना रास दिखा दे रब्बा
अब वो रास्ता कब तक लिखूगा
मै गुनाहों की दस्ता 
अघोरी अमली  सिंह 

Comments

Popular posts from this blog

बचा ले खुद को योग पर आधारित कविता - अघोरी अमली सिंह

कुछ करों अब खुद को बचाने कों आत्म चिंतन खुद को जगाने को रोगों को दूर भगाने को अंदर का शेर जगाने को चलो चलो चलो चलो सूर्य नमस्कार करो करो प्राणायाम अनुलोम विलोम , कपाल भारती करेगी तेरा कल्याण बचा ले बचा ले खुद को तू बचा ले गिर मत बंदे खुद को तू उठा ले मानसिकता को बदलकर मॉसपैसियो की थकान मिटा ले जीवन को अंतरात्मा से मिला ले बचा ले बचा ले  खुद को तू बचाले  लेखक - अघोरी अमली सिंह

स्वर्ग मे क्रांतिकारियों का मिलन

भगत  सिंह  जी ने  पिस्तौल की गोलियाँ निकाल कर   टेबल  पर रख  दी जोर जोर  से हसने लगे , बोले  देखों  सुखदेव राजगुरु हमारे वतन के हालत  तो  देखो  जरा  क्या  तुम दोनों  भी  वही  सोच  रहे  हो जो  मैं  सोच  रहा  हूँ हमारे सपनों के आजाद  भारत का चित्र तो जल कर खाक सा हो पड़ा है हर रोज कोई ना कोई उसको रोंदते जाता है हम जिस एकता के लिए लड़े मिटे कुर्बान हो गए वह तो आज खंडित नजर आ  रही है वही जात पात भेदभाव अपनी चरम सीमा पर है हमारा लाहौर जहाँ हम पढ़े लिखे लालाजी जहाँ शहादत हुई वह अब दूसरा मुल्क हो गया कितनी शर्म की बात है कुर्सी पाने की चाह  ने हमारे वतन इ हिन्द को दो भागों मे विभाजित कर दिया। ... तभी सुखदेव  बोले भगत यह तो कुछ  नहीं है कही भाषा की आग है कही क्षेत्रवाद की बहुत कुछ जल के राख हो चुका है नेता बढ़ते जा रहे है समसयाओ का समाधान नहीं हो रहा है तभी भगत सिंह पुनः पिस्तौल मे गोलियां भरना शुरू करते है राजगुरु उनको र...

रिश्तों का दूसरा नाम ही समझौतें करना है - अघोरी अमली सिंह

                                                                     रिश्तों का दूसरा नाम ही समझौतें करना है                              बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है                                    इनको पाने के लिए                           सहमे हुए दिल को समझाना पड़ता है                            आँखों के पानी को छुपाना पड़ता है                                   हर गम भूलना पड़ता है           ...