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शीर्षक - खानाबदोशी - अघोरी अमली सिंह

     शीर्षक - खानाबदोशी

एक जगह ज्यादा रूका नहीं जाता
 यह दिल अब खानाबदोश हो गया है
हर किसी पर फिसलता नही है
फिर भी ना जाने किस आस ने
दिल और दिमाग में बवंडर मचा रखा
गावों से शहर शहर से गांव
पंगडडी के रास्ते से रेलमार्ग के रास्ते तक
घूमता रहता है,
गिले में शिकवे में
खुद से ही गुफ्तगू करता है
यह दिल अब खानाबदोश हो गया है
एक जगह ज्यादा रूकता नहीं जाता
पत्रकारिता मे डिग्री की है
पर खोजी पत्रकार नहीं
मेरे ऊपर किसी कंपनी का कोई अधिकार नहीं
आज यहाँ हूँ कल वहाँ
परसों का कोई ठिकाना नहीं
अगर यह दुनिया बेगानी है
पर मैं अब्ब्दुला दीवाना नहीं
खोजी नहीं पत्रकार नहीं
मन मौजी कह देना क्योंकि
एक जगह ज्यादा रूका नहीं जाता
 यह दिल अब खानाबदोश हो गया है

लेखक - अघोरी अमली सिंह

#amliphilosphy

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