दुनिया का पता नहीं होता
मन भी शांत रहता है
मन भी शांत रहता है
धीरे धीरे आप विघालय में प्रवेश करते हैं ,
वहाँ से जीवन का नया
अध्याय शुरू होता है,
वहाँ से जीवन का नया
अध्याय शुरू होता है,
नये मित्र जो जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करते हैं ,
घर वालों के मस्तिष्क में ख्याली पुलाव पकने लगते हैं
हमारा लड़का, बिटिया भी शर्मा जी ,कपूर जी ,प्रधान साहब के
बच्चों की तरह सरकारी नौकरी पा लेगें सुखद जीवन चलता रहेगा
एक तरफ घर परिवार बिल्कुल सही सोचकर फैसले लेते हैं
परन्तु दूसरी तरफ कुछ और ही घमासान मस्तिष्क में उत्पात मचा रहा होता है
स्कूल से महाविद्यालय तक का सफर धीर धीरे पार हो जाता है
समय की गति भी अपनी रफ्तार से चल रही होती है
इस गति में आपके मित्र भी अच्छी नौकरियों पाकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं ,
पर जैसे ही वो आपके घर आते हैं या किसी के संपर्क में आ कर उपलब्धियों के किस्सों का प्रसारण करते हैं ,
वेसे ही विभिन्न प्रकार की सुन्दर सुंदर टिप्पणीयों की बारिश आप पर होने लगती है
इस समय आप सहम ही जाते हो मन ही मन एक और नया युद्ध की शुरुआत होती है और ,
फिर शान्ति हेतु किसी भी प्रकार की नौकरियों की तलाश प्रराम्भ होती,
नौकरी मिल गई तो ठीक नहीं तो व्यवसाय कर नये जीवन का श्री गणेश किया जाता है ,
मन का उत्पात शान्त नहीं होता क्योंकि आपको करना कुछ और है
आप कर कुछ और रहे चिंतन मंथन के दौर में अब सभी खुश हैं
सिर्फ आप ही आंतरिक दुख में हो फिर क्या मदिरापान या
कोई नया समाधान की तलाश करते करते ,विवाह का प्रस्ताव पे प्रस्ताव आते हैं
आप परिवरिक विषय को अति महत्वपूर्ण समझ इस सागर में भी डूबकी लगा लेते हो
सब ठीक रहा तो फिर अपने सपनों की उड़ान भरने की अंतिम कोशिश करते हो
नहीं तो फिर क्या बीवी बच्चों वाला जीवन, अपने सपने अपने बच्चों में खोजने के लिए तैयार हो जाते हो
यही चिंतन मंथन करते करते आप यमराज के बुलावे का इंतजार करते रहते हो
कि एक नया अध्याय की शुरुआत हो..........................
बस कलम रोक दो थोड़ा सुकून मिला है
#life, #amliphilosphy
अलगाववाद साहित्य के क़रीब
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