राजनीती के चश्मे को उतार कर तो देखो बाबू सरयू सुनाती अवध की स्वभिमानी कहानी जहाँ दिल दिल में बस्ते श्री राम है , घर घर श्री राम के धुनि रमाये दीवाने जिनकी मेहनत को करे दुनिया प्रणाम अंधियारे को गुम करती ...
शीर्षक - बुरा हूँ मैं 💯☠️☠️☠️☠️☠️☠️✔️💀💀 यू ही अक्सर सोचता हूँ मैं बहुत ज्यादा गलत हूँ यही सत्य है बहुत बुरा हूँ दूसरे की खुशी में खुश हूँ अपनों की नराजगी से दुख होता है जो समझता नहीं उसको समझाता क्यों हूँ टूटी पड़ी राहों को जोड़ता क्यो हूँ मुझे कभी समझ में नहीं आता है हाँ यह बात सत्य है मै बहुत बुरा हूँ किसी का दर्द देखा नहीं जाता लाख कोशिश करू पर खुद को रोका नहीं जाता हर तरह से प्रयास करता हूँ हां यही सत्य है मै बहुत बुरा हूँ शराब भी पी लेता हूँ थोड़े से आराम के लिए वो भी हराम हो जाता है यादों के बैनर ताले क्या करू बर्दाश्त नहीं होता चिला देता हूं ज्यादा हो तो बाते दाबा देता हूं क्या करू बदनाम हूँ खुद को समझा लेता हूँ श्मशान को देख सारी इच्छा मिटा देता हूं अपनी बुराइयों सुनने से ही सुकून मिलता है क्या करू बुरा हूँ खुद को समझा लेता हूँ समझा लेता हूँ -- अघोरी अमली सिंह - -
रिश्तों का दूसरा नाम ही समझौतें करना है बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है इनको पाने के लिए सहमे हुए दिल को समझाना पड़ता है आँखों के पानी को छुपाना पड़ता है हर गम भूलना पड़ता है ...