बचपन सदैव बहुत शानदार होता है तब आपको ज्यादा दुनिया का पता नहीं होता मन भी शांत रहता है धीरे धीरे आप विघालय में प्रवेश करते हैं , वहाँ से जीवन का नया अध्याय शुरू होता है, नये मित्र जो जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करते हैं , घर वालों के मस्तिष्क में ख्याली पुलाव पकने लगते हैं हमारा लड़का, बिटिया भी शर्मा जी ,कपूर जी ,प्रधान साहब के बच्चों की तरह सरकारी नौकरी पा लेगें सुखद जीवन चलता रहेगा एक तरफ घर परिवार बिल्कुल सही सोचकर फैसले लेते हैं परन्तु दूसरी तरफ कुछ और ही घमासान मस्तिष्क में उत्पात मचा रहा होता है स्कूल से महाविद्यालय तक का सफर धीर धीरे पार हो जाता है समय की गति भी अपनी रफ्तार से चल रही होती है इस गति में आपके मित्र भी अच्छी नौकरियों पाकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं , पर जैसे ही वो आपके घर आते हैं या किसी के संपर्क में आ कर उपलब्धियों के किस्सों का प्रसारण करते हैं , वेसे ही विभिन्न प्रकार की सुन्दर सुंदर टिप्पणीयों की बारिश आप पर होने ल...
मै अघोर हूँ किस्से कहानिया सुनता हूँ मन हो तो कुछ लिख देता हूँ